अकबर और बीरबल की ईरान यात्रा की कहानी | Akbar aur Birbal ki kahani in Hindi

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अकबर और बीरबल की कहानी

(Akbar aur Birbal ki kahani in Hindi)

Akbar aur Birbal ki kahani in Hindi: बादशाह अकबर और बीरबल न केवल हिंदुस्तान में बल्कि अन्य देशों में भी लोकप्रिय थे। बादशाह अकबर अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे, जबकि बीरबल को लोग उनकी चतुराई और बुद्धिमता के लिए सराहते थे।लेकिन  कुछ दरबारी हमेशा यह साबित करना चाहते थे कि वह अकबर और बीरबल से कहीं बेहतर है।

एक बार ईरान के बादशाह ने बादशाह अकबर और बीरबल को अपने यहां आने का न्योता दिया। ईरान के बादशाह ने भी बादशाह अकबर और बीरबल के किस्से सुने थे, हालांकि उन्हें उनके ऊपर भरोसा नहीं था। उन्होंने सोचा कि जब तक किसी बात को अपनी आंखों से ना देख लिया जाए उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। 

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वे कानों सुनी बात पर विश्वास करने वालों में से नहीं थे। उन्होंने निर्णय किया कि वह बीरबल की चतुराई की परख करेंगे।

ईरान के बादशाह द्वारा भेजा गया निमंत्रण बादशाह अकबर और बीरबल ने स्वीकार कर लिया। जब वे दोनों इरान के बादशाह के महल पहुंचे तो उनका शाही स्वागत किया गया। उन्हें बहुमूल्य रत्न, राजसी वस्त्र, तथा अन्य उपहार भेंट में दिए गए।

जब बादशाह अकबर और बीरबल शाही दरबार में गए,  तो उन्होंने देखा कि वहां  6 लोग एक साथ खड़े थे, जिन्होंने ईरान के बादशाह जैसी पोशाक पहन रखी थी।

अब बादशाह अकबर के लिए यह पता लगाना मुश्किल हो गया कि ईरान के असली बादशाह कौन है, क्योंकि वे सभी बादशाह की पोशाक में थे। बादशाह अकबर ने उलझन भरी निगाहों से अपने मंत्री बीरबल की तरफ देखा। उन्होंने आंखों ही आंखों में बीरबल को संकेत दिया कि उन्हें ईरान के असली बादशाह का पता लगाना होगा वरना शाही दरबार में उन दोनों का अपमान होगा।

बीरबल ने बहुत बारीकी से उन व्यक्तियों को देखा और एक व्यक्ति की ओर बढ़ गए। वे उसके आगे जाकर और बोले, “ ईरान के बादशाह मेरा सलाम कबूल करें”। वहां मौजूद सभी दरबारी हैरान हो गए। बीरबल बादशाह को पहचान लिया था, जबकि उन्होंने इससे पहले ईरान के बादशाह को कभी नहीं देखा था।

अकबर ने बीरबल से कहा, “ मैं बड़ी उलझन में था की असली भाषा को कैसे पहचानू?”

फिर दोनों बादशाहो ने बीरबल से यह सवाल पूछा कि उन्होंने असली बादशाह को कैसे पहचान लिया। बीरबल दोनों बादशाहो से विनम्रता पूर्वक बोले, “ जहांपना यह पहचान करना बहुत कठिन नहीं था। मैंने सब को देखने के बाद आप को बहुत ध्यान से देखा। मैंने यह पाया कि 6 लोगों में से 5 तो आपकी और देख रहे हैं, ताकि आपके निर्देश का पालन कर सकें। उनमें से केवल आप ही आगे की ओर देख रहे थे। और आपके चेहरे से एक बादशाह का आत्मविश्वास झलक रहा था।  बाकी लोगों के चेहरे पर यह भाव नहीं थे।

इस तरह मैंने जान लिया कि आप ही  ईरान के असली  बादशाहा है।

आशा करता हूं कि आप मेरे तरफ से संतुष्ट हुए होंगे”।

एक और बादशाह अकबर की आंखें गर्व और प्रसन्नता से चमक उठी तो दूसरी और ईरान के बादशाह को बीरबल की बुद्धिमता से बड़ी खुशी महसूस हुई। वे बोले, “ मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मैंने बीरबल की चतुराई और बुद्धिमता का नमूना अपनी आंखों से अपने दरबार में देख लिया।

ईरान के बादशाह ने बीरबल को अपनी तरफ में अव्वल पाया और वे भी उनकी प्रशंसा करने लगे। उन्होंने बादशाह अकबर से कहा,“ मेरे मित्र मैं आपके प्रिय मंत्री बीरबल की चतुराई और अकल मंदी से बड़ा प्रभावित हूं। वह बहुत ऊंचे पद के दावेदार हैं।” बादशाह अकबर बीरबल की तारीफ करते हुए बोले, “ बेशक बीरबल के कारण मुझे सभी मामलों की बहुत अधिक चिंता नहीं करनी पड़ती, क्योंकि वह हर मामले को बहुत कुशलता पर संभाल लेते हैं।”

ईरान के बादशाह के एक दरबारी को बीरबल से बहुत जलन होने लगी कि बीरबल उनके बादशाह के भी प्रिय बन गए हैं। उसने सोचा कि क्यों न बीरबल के सामने एक चुनौती रखी जाए और उन्हें ईरान के बादशाह एवं अपने बादशाह अकबर के आगे नीचा दिखाया जाए। ऐसी स्थिति में उनका मान सम्मान धूमिल हो जाएगा।

फिर ईरान के दरबारी ने बीरबल को तेज स्वर में पुकारा,ताकि सारे दरबारी सुन सके। फिर वह बोला, “ बीरबल जी, आपको अपनी बुद्धिमता पर बहुत घमंड है। मैं चाहता हूं कि आप मेरी दी गई चुनौती को कबूल करें और उसे पूरा करके दिखाएं।”

बीरबल ने कहा, “ जी, आप अपनी चुनौती बताएं।”

दरबारी बोला, “ आप सो आसान प्रश्नों के उत्तर देना चाहेंगे या एक कठिन प्रश्न का उत्तर देना चाहेंगे?” बीरबल ने पूरे आत्मविश्वास से कहा, “ आप मुझ पर एक कठिन प्रश्न पूछें।” दरबारी ने कहा, “ यह बताइए दुनिया में पहले मुर्गी का बच्चा आया या अंडा?”

बीरबल तुरंत बोले, “ दुनिया में पहले मुर्गी का बच्चा आया।” ईरान का दरबारी बोला, “ बीरबल राजा आपको अपनी यह बात साबित करनी होगी। आप कैसे कह सकते हैं कि दुनिया में पहले मुर्गी का बच्चा आया?”

बीरबल बोले, “ मेरे दोस्त,  शायद आप भूल रहे हैं कि मुझे केवल एक ही कठिन प्रश्न का उत्तर देना था और अगर आप दूसरी बात पूछते हैं, तो वह दूसरा सवाल हो जाएगा। मैंने केवल एक ही प्रश्न का उत्तर देने की हामी भरी थी।”

ईरान का दरबारी अपना सा मुंह लेकर रह गया। उसे कोई जवाब नहीं सूझा। ईरान के बादशाह ने हंसते हुए बीरबल की पीठ थपथपाई और उन्हें सोने की मोहरे इनाम में दी ।

इसके बाद बादशाह अकबर और बीरबल ने ईरान के बादशाह से विदा ली। विदाई के समय ईरान के बादशाह ने बीरबल से पूछा, “ अब वापस जा रहे हैं। मैं आपसे पूछना चाहूंगा कि आप अपने  बादशाहा और मेरी तुलना किस प्रकार करेंगे?” बीरबल बोले, “ जहांपना, आप चंद्रमा के समान हैं, परंतु हमारे बादशाह चौथ के चांद की तरह है।”

बीरबल का जवाब सुनकर ईरान के बादशाह को बहुत अच्छा लगा, जबकि बादशाह अकबर मन ही मन बहुत नाराज हुए, उन्होंने रास्ते में कहां, “ बीरबल, मैं हमेशा यह सोचता था कि तुम मेरे वफादार हो, परंतु मेरी सोच गलत निकली। तुमने ईरान के बादशाह को वह जवाब देकर मेरा अपमान किया है तुम्हें वे मुझसे कहीं ज्यादा बेहतर और अच्छे लगे।”

बीरबल गंभीर स्वर में बोले, “ जहांपना मेरी बात में छिपा अर्थ आपकी समझ में नहीं आया। मैं आपको समझाता हूं पूर्ण चंद्र तो हर बिन के साथ घटता चला जाता है परंतु चौथ का चांद दिनों दिन बढ़ता रहता है। जहांपना आपका सितारा लगातार बुलंद होगा। आप उनसे हर मायने में बेहतर है।” अपने प्रिय मंत्री बीरबल के मुख से उसकी कहीं बात का अर्थ जानकर बादशाह अकबर बहुत खुश हुए।

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