अच्छे इंसान के साथ हमेशा अच्छा होता है | Moral Hindi Story

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अच्छे इंसान के साथ हमेशा अच्छा होता है (Moral Hindi Story)

अच्छे इंसान के साथ हमेशा अच्छा होता है, यह एक कहावत हैअच्छे इंसान के साथ हमेशा अच्छा होता है इसका अर्थ यह है कि जो दूसरों के साथ अच्छा करेगा तो उसके साथ भी हमेशा अच्छा ही होगा, किन्तु आज के समय में यह कहावत कुछ लुप्त सी हो गई है, क्यूकि आज के समय में लोग एक-दुसरे से ईर्ष्या करते रहते है।

लोग अपने आप को दूसरों से बेहतर साबित करने में लगे रहते है। उन्हें दूसरों की कोई परवाह नहीं होती वे सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। इस समय ऐसे बहुत ही कम अच्छे इन्सान होंगे जोकि दूसरों के बारे में सोचते है, किन्तु उनके साथ हमेशा अच्छा ही होता है। ऐसी ही एक अच्छे इन्सान की कहानी आज हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं जिसके साथ हमेशा अच्छा ही होता रहा।

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प्राचीन काल की बात है, विजय सिंह नाम का राजा हुआ करता था। वह बहुत ही अच्छा इंसान था वह हमेशा दूसरों की मदद किया करता था। उसे अपनी प्रजा से बहुत प्रेम था, वह सभी की सहायता किया करता था। उसके राज्य में कोई भी व्यक्ति असंतुष्ट नहीं था, किसी को भी किसी चीज की कमी नहीं थी। 

उसके राज्य में भरपूर पैसा था और साथ ही खेत खलयान भी भरे हुए थे। लोग बहुत ही अच्छे से जीवन व्यतीत कर रहे थे। उस राजा से जो भी व्यक्ति मदद की गुहार करता या अपने निजी काम के लिए धन की मांग करता था, तो वह उसकी पूर्ति कर दिया करता था।

इस बात से उनके ही दरबार के एक दरबारी जिसका नाम हर्ष था ने सोचा कि –“राजा बहुत ही दयालु है, क्यों ना इसका फ़ायदा उठाया जाये। उसने उस राजा का बहुत ही खास और भरोसेमंद दरबारी बनने का सोचा, जिससे राजा उसे अपने खजाने की रखवाली के लिए तैनात कर दें। इसके लिए उसने एक योजना बनाई, वह राजा के आस-पास ही रहा करता था।

राजा विजय सिंह जो भी काम करने को बोलते वह झट से कर दिया करता था, और राजा के साथ वह हर जगह जाकर उनकी मदद भी किया करता था। राजा ने एक बार उससे किसी व्यापारी के यहाँ से आये धन को तहखाने में रखने के लिए कहा और हर्ष ने बड़ी ही इमानदारी से सारा का सारा धन तहखाने में रख दिया। 

राजा ने यह सब देख कर सोचा कि – “हर्ष मेरी हर जगह मदद करता है और साथ ही जो भी काम मैं उसे करने देता हूँ वह बहुत ही इमानदारी से करता है” राजा करीम से बहुत ही प्रभावित होने लगे थे। 

हर्ष को भी लगने लगा कि राजा उससे प्रभावित हो चुके हैं, यही उसकी योजना थी कि ऐसा करने से राजा उसे जल्द ही अपने खजाने का रखवाला बना देंगे। राजा ने हर्ष को बुलवाया- और हर्ष मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि अब बस राजा उसे अपने खज़ाने का रखवाला बनाने की बोलने ही वाले है, यह सोचते – सोचते वह राजा के पास पहुंचा। 

राजा ने उससे कहा – “हर्ष तुम अपने काम में बहुत ही इमानदार हो, मैं तुमसे बहुत प्रभावित हुआ हूँ और मैं तुम्हे अपने खजाने की रखवाली करने के लिए तैनात करता हूँ”। यह सुनकर हर्ष ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था, उसने यह स्वीकार कर लिया और वह खज़ाने का रखवाला बन गया। 

रखवाला बनने के बाद कुछ समय तक उसने अपना काम बहुत ही इमानदारी से किया, जिससे राजा को उस पर और भी ज्यादा भरोसा हो जाये फिर उसके बाद उसने खजाने में घोटाला करना शुरू कर दिया। एक के बाद एक घोटाले करता चला गया, जिससे खज़ाने में बहुत ज्यदा नुकसान होने लगा था, किन्तु राजा को हर्ष पर पूरा भरोसा था। उसे लगा कि कोई और है जो उसके खजाने में घोटाला कर रहा है।

उसने अपने सैनिकों से इस घोटाले के बारे में पता लगाने को कहा. सभी लोग उस घोटाले करने वाले आदमी को खोजने लगे. फिर खोजते – खोजते कुछ दिनों बाद यह पता चला कि यह सब घोटाला कोई और नहीं बल्कि हर्ष ही कर रहा था। राजा ने करीम को दरबार में बुलाया और उसे कहा –“तुम बहुत ही बेईमान निकले, और तुमने मेरा भरोसा तोड़ा है तुम्हें दंड अवश्य दिया जायेगा”. ऐसा कहकर राजा ने उसे महल से निकाल दिया।

महल से निकाले जाने के बाद हर्ष ने सोचा कि “अब मुझे कोई काम नहीं मिलेगा और यह सब राजा की वजह से हुआ है मैं राजा को मार दूंगा”. ऐसा सोचते हुए उसने राजा को मारने की योजना बनाई. वह चुपके से छिपते हुए महल के अन्दर घुस गया और किसी तरह वह महल के रसोई घर में पहुँच गया। वहाँ पहुँच कर उसने राजा के खाने में जहर मिला दिया जिससे राजा की मृत्यु हो जाए, किन्तु राजा बहुत ही दयालु और अच्छा इंसान था. उसने यह खाना गरीबों में बांटे जाने का एलान कर दिया। 

हर्ष यह सुनकर डर गया उसे लगने लगा कि –“मैं तो राजा को मारना चाहता हूँ, लेकिन ये क्या ये खाना मासूम और गरीब लोगों को खिलाया जाने वाला है. किन्तु मैं उन सब की मृत्यु नहीं होने दे सकता हूँ”. तब वह राजा के पास गया और उनसे कहने लगा कि –“ हे राजन ! यह खाना गरीबों में मत बाँटिये इसमें जहर मिला है, मुझे क्षमा कर दीजिये मैं लालच में आने के कारण यह गलत कदम उठा बैठा”। 

इस तरह राजा के अच्छे स्वाभाव के कारण उनकी जान भी बच गई और हर्ष भी उनके इस आचरण से बहुत प्रभावित हुआ और उसने राजा के दिखाए गए रास्ते पर चलने का फैसला किया साथ ही वह भी एक अच्छा इंसान बन गया।

कहानी से प्राप्त शिक्षा (Moral of the Story )-

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि जिस तरह विजय सिंह दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करके एक अच्छा इंसान बन गया और उसकी जान भी बच गई, उसी तरह हमें भी दूसरों के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करना चाहिए ताकि हमारे साथ भी हमेशा अच्छा हो। आज के समय में लोगों को अपने आप से ही फुरसत नहीं मिलती वे दूसरों के बारे में क्या सोचेंगे किन्तु हमें यह सोच बदलनी होगी तभी हम एक अच्छे इन्सान बन सकेंगे और हमारे साथ हमेशा अच्छा होगा।

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