मेहनत का फल ( Mehnat ka Phal Short Story in Hindi)
कुछ सालों
पहले की बात है, एक गुरु
और शिष्य कहीं से गुजर रहे थे। चलते-चलते वह एक खेत के पास पहुंचे। दोनों को बहुत
प्यास लगी थी।
तो वह खेत के बीचो-बीच बने। घर के सामने पहुंच गए और वहां जाकर उन्होंने दरवाजे को
खटखटाया।
जब गुरु और
शिष्य उस खेत से जा रहे तो उन्होंने पहले ही देख लिया था, कि खेत बहुत ही बड़ा था
और उस खेत में अच्छी और उपजाऊ जमीन भी थी। लेकिन उसकी हालत देखकर लगता था, कि उसका मालिक
उस पर जरा सा भी ध्यान नहीं दे रहा है।
जैसे ही
दरवाजा खटखटाया एक
आदमी उस घर से बाहर निकला, उसके साथ उसकी पत्नी और 3 बच्चे भी थे। सभी के फटे पुराने कपड़े पहने हुए थे।
गुरु ने बहुत
ही विनम्र आवाज से बोला क्या हमें पानी मिल सकता है? आदमी ने गुरु को पानी दिया और
पानी पीने के बाद गुरु जी ने उस आदमी से कहा कि मैं देख रहा हूं, कि आपका खेत इतना बड़ा है, पर इसमें इतनी फसल की पैदावार कम है। आखिर आप लोग
अपना गुजारा कैसे चलाते हैं?
उन्होंने उस
आदमी से अनुमति ली और वह वहीं पर रुक गए। आधी रात होने पर गुरु ने अपने शिष्य को उठाया और उसके कानों में बोला “चलो
हमें अभी यहां से निकलना है और चलने से पहले उसकी जो भैंस है। उसे हमें ले जाकर
कहीं जंगल में छोड़ देना है”।
शिष्य को अपने
गुरु की बात पर जरा सा भी यकीन नहीं हो रहा था। क्योंकि जिस गुरु से वह बहुत
सारी चीजें सीखा हुआ था। उसी के गुरु ने उसे ऐसा करने के लिए बोल रहे थे। फिर भी वह
उसके गुरु थे इसलिए गुरु की बात को मना नहीं कर सकता था।
आखिर में गुरु
और शिष्य जंगल की ओर निकल पड़े और भैंस को ऐसी जगह पर छोड़ दिया जहां से भैंस का आना
मुश्किल था।
इस घटना को बीते हुये बहुत साल हो गये थे। और कुछ साल के बाद वो शिष्य एक बड़ा गुरु बना।
तब उसने सोचा
क्यों ना अपनी उस गलती को सुधार लिया जाए जो उसने उस आदमी के साथ की थी और क्यों
ना उस गलती को सुधारने के लिए उस आदमी से मिला जाए और उसकी आर्थिक मदद की जाए। जिससे उस
व्यक्ति के आगे आने वाली जिंदगी खुशहाल जिंदगी बने।
तो वो शिष्य निकल
पड़ा उस आदमी की मदद करने के लिये। उस समय यात्रा करने के बाद वो शिष्य उस आदमी के घर पर
पहुंच गया जहां वह पहले अपने गुरु के साथ पहुंचे थे। मगर वह फिर से चौक गया। वहां पर उसने
देखा बहुत बड़े-बड़े से पेड हैं, जिन पर बहुत सारे फल भी लगे हैं ।
और उनके पास ही एक बड़ा सा घर बना हुआ है। उसने अपने मन से सोचा कि शायद उनके
चले जाने के बाद परिवार सब कुछ बेच कर यंहा से चला गया होगा। इसीलिए वह वापस
लौटने लगा। तभी
उसने उसी आदमी को देखा। और उस आदमी के पास जाकर बोला “शायद आप मुझे नहीं पहचानते लेकिन
मैं आपको सालों पहले मिला था”।
उस आदमी ने
मायूसी से बोला “हां” मैं कैसे भूल सकता हूं। आप लोग तो बिना बताए चले गए थे। उसी दिन ना
जाने क्या हुआ।
और जो मेरी भैंस कहीं चली गई और आज तक नहीं लौटी। कुछ दिनों तक तो मुझे समझ ही
नहीं आया, कि अब आगे मुझे क्या करना चाहिए। और यही सोच रहा था कि अब में क्या कर पाऊंगा और जीने के लिए।
लेकिन मुझे
कुछ ना कुछ तो करना ही था। तो मैंने लकड़ियां काटकर बेचने का काम शुरू किया और उससे
जो कुछ पैसे मुझे मिले। उससे मैंने अपने खेतों में फसल और फल को उगाने लगा। और आखिर में मुझे
मेरी मेहनत का फल मुझे मिला। और मेरा काम बहुत ही अच्छा चल पड़ा अब मै शहर में सबसे
बड़ा फल और फसल का व्यापारी बन गया।
अगर उस रात में
मेरी भैंस नहीं चली गई होती तो सचमुच मे आज जो भी मेरे पास है, यह सब कुछ ना होता। क्योंकि भैंस
के कारण “मैं लाचार था” और मैं कोई काम नहीं करना चाहता था।
परन्तु उसके जाने के बाद मैंने तुरंत नये रास्ते निकाले “पैसे कमाने
के” और आज मैं एक बहुत ही बड़ा व्यापारी बन चुका हूँ। तब शिष्य ने उस आदमी से कहा कि यह
काम तो तुम पहले भी कर सकते थे। इस पर आदमी बोला “कर तो सकता था”। लेकिन तब
मेरी जिंदगी बिना मेहनत की भी चल रही थी।
मुझे कभी लगा
ही नहीं कि मेरे अंदर इतना कुछ करने की क्षमता है, तो कभी कोशिश ही नहीं की मैंने। लेकिन जब मेरी
भैंस चली गई।
तब मुझे एहसास हुआ, कि मैं दूसरा भी काम कर सकता हूं। जिससे मैं अच्छा खासा पैसा कमा
सकता हूं।
और मेरे बच्चे, मेरी पत्नी को और भी अच्छी जिंदगी दे सकता हूं।
इसलिए मुझे
कुछ ना कुछ तो करना ही था। और मैंने तब ठान लिया था, कि अब मैं जो भी करूंग, पूरी मेहनत के
साथ करूंगा।
अपने दम पर करूंगा और आज इसीलिए मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं।
इस कहानी से
हमे यह शिक्षा मिलती है, कि आपकी जिंदगी में भी तो कोई ऐसी भेंस तो नहीं है। जो आपको एक
बेहतर जिंदगी रोक रही हो। उस भैंस ने आपको लाचार तो नहीं कर रखा है। अगर आपको लगता
है कि अगर ऐसा है तो आप भी मेहनत करें और आगे बढें।
आपके पास खोने
के लिए बहुत ही कम चीज है, पर सोचिए अगर आप कोशिश करेंगे तो आपके पास पाने के लिए पूरा संसार है। आप अपने
लक्ष्य को सोच लें और उसे पाने के लिए तब तक मेहनत करें जब तब वह आपको नहीं मिल
जाता।
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