बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला – हिंदी कहानी | Buri Nazar Wale Tera Muh Kala Story in Hindi

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बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला – हिंदी कहानी 

(Buri Nazar Wale Tera Muh Kala Story in Hindi)

बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला, यह एक मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है जब कोई किसी पर बुरी नजर डालता है या किसी का बुरा करता है तो उसके खुद के साथ बुरा हो जाता है. दोस्तों आज के समय में स्त्रियों पर बुरी नजर डाले जाने की खबरें बहुत सामने आ रहीं है, किन्तु स्त्रियों पर पुरुषों द्वारा बुरी नजर डाले जाना या उनके साथ दुर्व्यवहार करना यह आज के समय से नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है 

अब आप देवी अहिल्या, सीता माता और द्रोपदी की ही बात ले लीजिये, इन सभी स्त्रियों पर पुरुषों द्वारा दुर्व्यवहार किया गया, किन्तु यह भी सत्य है कि स्त्रियों पर दुर्व्यवहार करने वालों का हमेशा मुंह काला हुआ है, अर्थात उनके साथ हमेशा बुरा हुआ है। ऐसी ही एक स्त्री की कहानी आज हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहें हैं, जिसमें उसके साथ दुर्व्यवहार करने वाले का खुद का मुंह काला हो गया

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एक बार की बात है एक बहुत ही गरीब परिवार की लड़की थी जिसका नाम अरुणिता था उसके पिता ऑटो चलाते थे और माँ गृहणी थी। जब अरुणिता छोटी थी तब उसके पिता ने उसकी पढ़ाई की फीस के लिए ऑटो चलाना शुरू किया उसके बाद, अरुणिता के पढ़ाई में होशियार होने के कारण उसे स्कूल से स्कॉलरशिप मिलने लगी, तब वह अपनी स्कूल की फीस खुद ही भरने लगी

वह बहुत ही होशियार और प्रतिभाशाली लड़की थी, अपने स्कूल में वह हमेशा अव्वल आती थी इसलिए उसके माता – पिता को उस पर बहुत गर्व होता था यहाँ तक कि उसके स्कूल के शिक्षक भी उसकी बहुत तारीफ करते और हमेशा कहते रहते कि अरुणिता में कुछ कर दिखाने का जूनून है और वह अपने माता – पिता का नाम जरूर रोशन करेगी

अरुणिता ने स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद कॉलेज में दाखिला लिया और उसने वहाँ भी अपनी प्रतिभा दिखाई। उसके प्रतिभाशाली होने कारण ही कॉलेज की पढ़ाई करते-करते ही उसकी जॉब भी  लग गई और वह कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म कर जॉब करने लगी

जॉब की शुरुआत में उसकी तनख्वाह कम थी फिर ऑफिस में भी उसने धीरे – धीरे अपनी जगह बना ली और देखते ही देखते उसकी तरक्की होती चली गई अरुणिता की इतनी जल्दी तरक्की होने के कारण उसके ऑफिस के और लोग उससे जलने लगे 

उसे हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करते और उससे कहते कि तुम्हारी इतनी औकात नहीं है। किन्तु वह बिना डरे अपना काम करती रहती और उसके काम को देखते हुए उसकी तरक्की होती रहती

अरुणिता के ऑफिस के एक अन्य कर्मचारी जिसका नाम दीपक था, को उससे बहुत ईर्ष्या होने लगी थी, क्यूकि वह उस कंपनी में पहले से था और उसकी उतनी तरक्की नहीं हुई थी और उसकी जगह अरुणिता की तरक्की हो रही थी। दीपक किसी भी हाल में अरुणिता को ऑफिस से निकालना चाहता था इसके लिए उसने कई हथकण्डे भी अपनाये किन्तु हर बार वह असफल रहा 

एक दिन अरुणिता ऑफिस में देर रात तक काम कर रही थी, उसके ऑफिस के सभी लोग एक – एक कर घर जाने लगे और वह अकेले ही ऑफिस में काम कर रही थी। अरुणिता को अकेले ऑफिस में काम करते देख दीपक ने सोचा यही अच्छा मौका है और वह अरुणिता के पास जा कर बतमीजी करने लगा अरुणिता ने उसे मना करने की बहुत कोशिश की, किन्तु वह उसकी बात न सुनता

उस समय तो अरुणिता वहां से चली गई, परन्तु इन सब से वह डरी और सहमी हुई हालत में घर पहुंची, घर पहुँचते ही उसने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया। दूसरी तरफ दीपक यह सोचने लगा कि अरुणिता अब डर के कारण ऑफिस नहीं आयेगी और जिससे उसको इस जॉब से निकाल दिया जायेगा। 

दीपक ऐसा पहले भी कई लड़कियों के साथ कर चुका था और वे सारी लड़कियाँ अपनी बदनामी के डर से कुछ ना कहते हुए जॉब छोड़ कर चली जातीं। अगले दिन अरुणिता सुबह उठी और ऑफिस जाने से मना करने लगी, तब उसकी माँ द्वारा पूछे जाने पर उसने सारी कहानी अपनी माँ को बताई और कहने लगी कि वह यह जॉब छोड़ देगी

अरुणिता की माँ ने उसे समझाते हुए कहा कि –“तुम तो इतनी होशियार और साहसी लड़की हो, यदि तुम ही डर के कारण यह जॉब छोड़ दोगी तो इससे कुछ नहीं बदलेगा, क्यूकि ऐसा आज तुम्हारे साथ हुआ है, कल कोई और लड़की आयेगी और उसके साथ भी वही हुआ, तब वह भी तुम्हारी तरह डर के कारण जॉब छोड़ने के लिए कहेगी

लेकिन इससे दीपक जैसे लोगों को बढ़ावा मिलता रहेगा और वे हमेशा लड़कियों को अपने हाथों की कठपुतली समझते रहेंगे”। अरुणिता की माँ ने अरुणिता को ऑफिस जाने के लिए हिम्मत देते हुए कहा कि -“तुम्हें ऑफिस जाना चाहिए और उस आदमी का सामना कर उसके खिलाफ लड़ना चाहिए, ताकि तुम्हारे जैसी कोई और लड़की को इस मुश्किल का सामना न करना पड़े

अरुणिता की माँ द्वारा समझाये जाने पर अरुणिता ने हिम्मत करते हुए ऑफिस जाने का फैसला किया और वह ऑफिस चली गई अरुणिता के ऑफिस पहुँचने के बाद दीपक उसे वहाँ देखकर चौंक गया

लेकिन फिर भी वह अरुणिता को डराते हुए कहने लगा कि “तुम यहाँ आ तो गई हो लेकिन मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती” तब अरुणिता ने हिम्मत करते हुए अपने बॉस को उनके कैबिन में जाकर दीपक के बारे में सब कुछ बता दिया 

अरुणिता की बात सुनकर उसके बॉस ने दीपक को अपने ऑफिस से निकालकर पुलिस के हवाले करने का फैसला किया दीपक ने अपने बॉस को बहुत सफाई देने की कोशिश करते हुए कहा कि -“अरुणिता झूठ बोल रही है" वह मुझसे जलती है, और इसलिए वह मुझे बदनाम कर रही है

किन्तु उसके बॉस ने कहा कि –“अरुणिता नहीं तुम झूठ बोल रहे हो” और उसकी एक ना सुनते हुए उसे तुरंत पुलिस के हवाले कर दिया इस तरह दीपक अरुणिता को ऑफिस से निकलवाने के चक्कर में खुद ही अपनी जॉब से हाथ धो बैठा

इस कहानी की शिक्षा (Moral of the Story) –

इस कहानी ये यह शिक्षा मिलती है कि जब दीपक ने अरुणिता को ऑफिस से निकलवाने के लिए उसके साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिश की, तब दीपक को ही ऑफिस छोड़ कर जेल जाना पड़ाउसी प्रकार कभी किसी पर बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए, क्यूकि इससे खुद का ही बुरा होता हैइसलिए कहा जाता है कि “बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला”

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