पंचतंत्र की कहानियां | Panchtantra ki Kahaniyan in Hindi

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पंचतंत्र की कहानियां (Panchtantra ki Kahaniyan in Hindi)

बच्चों के कोमल मन में बातों को गहराई तक पहुंचाने का तरीका कहानियों से बेहतर और क्या हो सकता है। खासकर, पंचतंत्र की कहानियां, जिसमें बेहतर सीख, संस्कार व जीवन में अच्छी चीजों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मौजूद होती है। पांच भागों में बंटी पंचतंत्र की कहानियां ही हैं, जो दोस्ती की अहमियत, व्यवहारिकता व नेतृत्व जैसी अहम बातों को सरल और आसान शब्दों में बच्चों तक पहुंचा कर उन पर गहरी छाप छोड़ जाती हैं।

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शायद यही वजह है कि अक्सर बचपन में सुनी कहानियां और उनकी सीख जीवन के अहम पड़ाव में मार्ग दर्शक के रूप में भी काम कर जाती हैं। हम कौआ-उल्लू के बीच का बैर, दोस्ती-दुश्मनी, दोस्तों के होने का लाभ, कर्म न करने से होने वाली हानि, हड़बड़ी में कदम उठाने से होने वाले नुकसान जैसी कई पंचतंत्र की कहानियां आप तक इस प्लेटफॉर्म के जरिए लेकर आ रहे हैं।

आप इन कहानियों के माध्यम से बच्चों को खुशी देने और उनका मन बहलाने के साथ ही उनके अंदर नैतिकता व सदाचार के भाव को पहुंचा सकते हैं। तो देर किस बात की, अपने बच्चों को ये शिक्षाप्रद कहानियां सुनाते हुए अपने बचपन में खो जाइए।

कौवा और दुष्ट सांप (Moral Story in Hindi)

एक बार की बात है। एक जंगल में किसी पेड़ पर कौवे का एक जोड़ा रहा करता था। वो दोनों खुशी-खुशी उस पेड़ पर जीवन बसर कर रहे थे। एक दिन उनकी इस खुशी को एक सांप की नजर लग गई। जिस पेड़ पर कौवों का घोंसला था, उसी पेड़ के नीचे बने बिल में सांप रहने लगा था।

जब भी कौवों का जोड़ा दाना चुगने के लिए जाता, सांप उनके अंडों को खा जाता था और जब वो वापस आते, तो उन्हें घोंसला खाली मिलता था, लेकिन उन्हें पता नहीं चल पा रहा था कि अंडे कौन ले जाता है।

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इस प्रकार से कई दिन निकल गए। एक दिन कौवे का जोड़ा दाना चुग कर जल्दी आ गया, तो उन्होंने देखा की उनके अंडों को बिल में रहले वाला एक सांप खा रहा है। इसके बाद उन्होंने पेड़ पर किसी ऊंचे स्थान पर छुपकर अपना घोंसला बना लिया।

सांप ने देखा कि कौवों का जोड़ा पहले वाले स्थान को छोड़कर चला गया है, लेकिन शाम होते ही दोनों वापस पेड़ पर आ जाते हैं। इस प्रकार कई दिन निकल गए। कौवा के अंडों में से बच्चे निकल आए और वो बड़े होने लगे। 

एक दिन सांप को उनके नए घोंसले का पता चल गया और वह कौवों के जाने का इंतजार करने लगा। जैसे कौवे घोंसला छोड़ कर गए, सांप उनके घोंसले की ओर बढने लगा, लेकिन किसी कारण से कौवों का जोड़ा वापस पेड़ की ओर लौटने लगा। 

उन्होंने दूर से ही सांप को उनके घोंसले की ओर जाता देख लिया और जल्दी से वहां पहुंच कर अपने बच्चों को पेड़ की ओट में छुपा दिया। सांप ने देखा की घोंसला खाली है, तो वह कौवों की चाल समझ गया और वापस बिल में जाकर सही मौके का इंतजार करने लगा। इसी बीच कौवे ने सांप से पीछा छुड़ाने के लिए एक योजना बनाई।

कौवा उड़कर जंगल के बाहर बने एक राज्य में चला गया। वहां एक सुंदर महल था। महल में राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी। कौवा उसके गले में से मोतियों का हार लेकर उड़ गया। सभी ने शोर मचाया, तो पहरेदार हार लेने के लिए कौवे का पीछा करने लगे। 

कौवे ने जंगल में पहुंचकर हार को सांप के बिल में डाल दिया, जिसे पीछे कर रहे सैनिकों ने देख लिया। जैसे ही सैनिकों ने हार निकालने के लिए बिल में हाथ डाला, तो सांप फुंकारता हुआ बाहर निकल आया।

सांप को देखकर सैनिकों ने तलवार से उस पर हमला कर दिया, जिससे सांप घायल हो गया और अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया। सांप के जाने के बाद कौवा अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहने लगा।

कहानी से सीख- हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कभी भी निर्बल का फायदा नहीं उठाना चाहिए। साथ ही मुसीबत में समझदारी से काम लेना चाहिए।


दो बिल्लियाँ और बन्दर ( Two Cats and a Monkey)

एक गाँव में दो बिल्लियाँ रहा करती थी। वह आपस में बहुत प्यार से रहती थी। उन्हें जो भी खाने में मिलता, हमेशा बाँट कर खाया करती थी। एक दिन उन्हें एक रोटी मिली। अब रोटी एक और बिल्ली दो। उन्होंने रोटी के दो टुकड़े तो कर लिए पर दोनों टुकड़े बराबर है की नहीं, इसका फैसला नहीं कर पाए। उन्हें एक टुकड़ा बड़ा और दूसरा टुकड़ा थोड़ा छोटा लगा।

जब दोनों बिल्लियाँ किसी समझौते पर नहीं पहुँच सकी तो उन्होंने किसी और से फैसला करवाने की सोची। जब वो फैसला करवाने के लिए किसी को ढूंढ़ रही थी तो उन्हें एक बन्दर मिला।

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उन्होंने बन्दर से ही फैसला करवाने की सोची। दोनों बिल्लिओं ने बन्दर के सामने अपनी समस्या रखी। सारी बात सुनने के बाद बन्दर एक तराजू ले आया और रोटी के दोनों टुकड़ों को अलग अलग पलड़े में रख दिया।

तौलते समय जो पलड़ा भारी होता, बन्दर उस में से थोड़ी सी रोटी तोड़ कर खा लेता। ऐसा करते करते बन्दर पूरी की पूरी रोटी खा गया और दोनों बिल्लियाँ एक दूसरे का मुंह देखती रह गयी।

कहानी से सीखदो व्यक्तियों के झगड़े का फायदा अक्सर तीसरा उठा ले  जाता है। इसलिए हमे कभी नहीं लड़ना- झगड़ना।

लालची कुत्ता (A Greedy Dog)

एक गांव में एक कुत्ता रहता था वो हमेशा कुछ न कुछ खाने की फिराक में ही रहता था, क्योंकि वह बहुत लालची था वह भोजन की तलाश में हमेशा यहां-वहां भटकता रहता था, उसका पेट कभी नहीं भरता था एक दिन की बात है, वो हमेशा की तरह खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था, लेकिन उसे कहीं भी भोजन नहीं मिला

अंत में उसे एक होटल के बाहर एक मांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया, उसने झट से उस टुकड़े को मुंह में पकड़ लिया और सोचा कि कहीं एकां में जाकर मज़े से इसे खाया जाए। वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था, इसलिए मांस का टुकड़ा लेकर वहां से जल्दी से जल्दी भाग गया।

A-Greedy-Dog

एकांत जगह की खोज करते-करते वह एक नदी के पास पहुंचा नदी के किनारे जाकर उसने नदी में झांका, तो अचानक उसने अपनी परछाई नदी में देखी वो समझ नहीं पाया कि यह उसी की परछाई है, उसे लगा कि पानी में कोई दूसरा कुत्ता है, जिसके मुंह में भी मांस का टुकड़ा है

उस लालची कुत्ते ने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए अगर इसका मांस का टुकड़ा भी मिल जाए, तो खाने का मजा दुगुना हो जाएगा। वह उस परछाई पर ज़ोर से भौंका भौंकने से उसके मुंह में दबा मांस का टुकड़ा नदी में गिर पड़ा

अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा उसे तब जाकर समझ में आया कि जिसे वो दूसरा कुत्ता समझ रहा था, वो तो उसकी ख़ुद की परछाई है उसने ज़्यादा के लालच में, जो था वो भी खो दियाअब वह बहुत पछताया और मुंह लटकाकर वापस गांव में आ गया

कहानी से सीख- लालच बुरी बला है लालच नहीं करना चाहिए दूसरों की चीज़ें छीनने का फल बुरा ही होता हैलालच हमारी ख़ुशियां छीन लेता है, इसलिए अपनी मेहनत पर भरोसा करना चाहिए और मेहनत से जो भी हासिल हुआ हो, उसमें संतोष करना चाहिए अगर लालच करेंगे तो हमारे पास अभी जितना है, उससे भी हाथ धोना पड़ सकता है

बन्दर और मगरमच्छ (Monckey and Crocodile)

एक नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था उस पेड़ पर बहुत ही मीठे-मीठे जामुन लगते थे एक दिन एक मगरमच्छ खाना तलाशते हुए पेड़ के पास आया बन्दर ने उससे पूछा तो उसने अपने आने की वजह बताई बन्दर ने बताया की यहाँ बहुत ही मीठे जामुन लगते हैं और उसने वो जामुन मगरमछ को दिए उसकी मित्रता नदी में रहने वाले मगरमच्छ के साथ हो गयी वह बन्दर उस मगरमच्छ को रोज़ खाने के लिए जामुन देता रहता था

एक दिन मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी को भी खिलायेस्वादिष्ट जामुन खाने के बाद उसने यह सोचकर कि रोज़ाना ऐसे मीठे फल खाने वाले का दिल भी खूब मीठा होगा, उसने अपने पति से कहा कि उसे उस बन्दर का दिल चाहिए और वो इसी ज़िद पर अड़ गई मूर्ख मगरमच्छ अपनी पत्नी की इच्छा को पूरी करने के लिए चल पड़ा।

Monckey-and-Crocodile

अगले दिन जब रोज की तरह उस नदी किनारे मगरमच्छ और बंदर मिले तो मगरमच्छ बोला आज मेरी पत्नी ने तुम्हें खाने पर बुलाया है। चलो तुम मेरे साथ चलो।बंदर ने उत्तर दिया,” मैं तुम्हारें घर कैसे जा सकता हूँ ? मुझे तो तैरना तक नहीं आता।तभी साथी मगरमच्छ ने बंदर से कहा ,” तुम चिंता मत करो, मैं तुम्‍हे अपनी पीठ पर बैठा कर ले चलूँगा।

बंदर झट से मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। वह मगरमच्छ और उसकी पत्नी की चाल से अनभिज्ञ था। अब मगरमच्छ नदी में उतर गया और तैरने लगा। हर बात से अनजान बंदर पहली बार नदी में सैर कर रहा था तो उसे बहुत मजा आ रहा था। सैर करते हुए दोनों दोस्तों ने आपस में बातचीत करना शुरू किया।

बात करते-करते वो दोनों नदी के बीच में पहुँच चुके थे। बातों ही बातों में मगरमच्छ ने बंदर को बता दिया कि उसकी पत्नी बंदर का कलेजा खाना चाहती है इसीलिए उसे बुलाया है। अपने दोस्त मगरमच्छ के मुँह से ऐसी बात सुनकर बंदर को गहरा झटका लगा उसे दुःख भी हुआ पर बंदर बहुत चालाक होतें हैं और बुद्धिमान भी। उसने बड़ी बुद्धिमानी से खुद को संभाला और कहा कि दोस्त ऐसी बात थी, तो तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया।

मेरा कलेजा तो पेड़ पर ही रखा रह गया। अगर तुम्हें या तुम्हारी पत्नी को मेरा कलेजा खाना है, तो तुम्हें मुझे वापस पेड़ पर ले जाना होगा। मैं पेड़ पर रखा अपना कलेजा लेकर फिर तुम्हारी पीठ पर वापस सवार हो जाऊँगा। फिर हम दोनों एक साथ वापस तुम्हारे घर चलेंगे। तब तुम भाभीजी को मेरा कलेजा दे देना वो उसे खा लेंगी।

मगरमच्छ तो था ही बेवकूफ उसने बंदर की बात आसानी से मान ली और  पलटकर वापस नदी के किनारे पर स्थित पेड़ की ओर चल दिया। जैसे ही मगरमच्छ नदी के किनारे पर आया बंदर उछलकर पेड़ पर चढ़कर बोला,

मूर्ख मगरमच्छ कलेजा तो शरीर के अंदर होता है उसे कोई भी बाहर नहीं रख सकता। जैसे तूने दोस्ती के नाम पर मुझे बेवकूफ बनाया वैसे ही मैंने आज तुझे बेवकूफ बना दिया। आज से तेरी मेरी दोस्ती खत्म। जा लौट जा अपने घर।बेचारा मगरमच्छ खाली हाथ अपने घर लौट गया। उस दिन के बाद बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती खत्म हो गयी और मगरमच्छ को मीठे जामुन भी कोई खिलाने वाला नहीं था।

कहानी से सीख- इससे पहली यह सीख मिलती है कि मुसीबत के क्षणों में धैर्य नहीं खोना चाहिए और अनजान से दोस्ती सोच समझकर करनी चाहिए और दूसरी इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपने सच्चें दोस्तों के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिये

पानी और प्यासा कौआ (A Thirsty crow)

गर्मियों के दिन थे। दोपहर के समय बहुत ही सख्त गर्मी पड़ रही थी। एक कौआ  पानी की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। लेकिन उसे कही भी पानी नहीं मिला। अंत में वह थका हुआ एक बाग में पहुँचा। वह पेड़ की शाखा पर बैठा हुआ था की अचानक उसकी नजर वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई। वह उड़कर घड़े के पास चला गया

वहां उसने देखा कि घड़े में थोड़ा पानी है। वह पानी पीने के लिए नीचे झुका लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी। ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था।

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परन्तु वह कौआ हताश नहीं हुआ बल्कि पानी पीने के लिए उपाय सोचने लगा तभी उसे एक उपाय सूझा उसने आस पास बिखरे हुए कंकर उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिए लगातार पानी में कंकड़ डालने से पानी ऊपर आ गया. फिर उसने आराम से पानी पिया और उड़ गया

कहानी से सीखहमें भी इस कहानी से यह जरुर सीखना चाहिए कि अगर हमें भी कुछ पाना है या हमें भी सफल होना है तो पहले हमारे अन्दर यह सोच आनी चाहिए की हमें भी सफल होना है।

एक चालाक लोमड़ी (A Clever Fox)

एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की खोज में इधर उधर घूमने लगी। जब उसे सारे जंगल  में भटकने बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई।

अचानक उसकी नजर ऊपर गई पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था कौवे को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया वह कौवे से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी

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तभी उसने कौवे को कहा, ” क्यों भई कौआ भैया ! सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?. कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ। वह लोमड़ी की बातो में आ गया

गाना गाने के लिए उसने जैसे ही अपना मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया।
लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और वहां से भाग गई। अब कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा।

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क्रोध का फल

जीवन का दर्पण

कहानी से सीखयह छोटी कहानी हमें स्पष्ट सन्देश देती है की कभी भी हो अपनी झूठी प्रशंस से हमें बचना चाहिए।

अंगूर खट्टे है (The Grapes Are Sour)

एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी. वह भोजन कि तालाश में इधर उधर भटकती रही लेकिन कही से भी उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला अंत में थक हारकर वह एक बाग़ में पहुँच गयी वहां उसने अंगूर की एक बेल देखी जिसपर अंगूर के गुच्छे लगे थे

वह उन्हें देखकर बहुत खुश हुई वह अंगूरों को खाना चाहती थी, पर अंगूर बहुत ऊँचे थे वह अंगूरों को पाने के लिए ऊँची ऊँची छलांगे लगाने लगी किन्तु वह उन तक पहुँच न सकी। वह ऐसा करते करते बहुत थक चुकी थी

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आखिर वह बाग से बाहर जाते हुए कहने लगी कि अंगूर खट्टे है अगर मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार हो जाउंगी। बहुत सारे लोगो की यह प्रॉब्लम होती है की वह अगर किसी चीज में कामयाब नहीं होते, तो वह खुद में कमियां देखने के बजाय उस काम में ही कमियाँ निकालने लगते है।

कहानी से सीखहमे कभी लोमड़ी की तरह नहीं बनना है और ना ही कभी उसकी तरह यह कहना है कि अंगूर खट्टे है।

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