भगवत गीता कोट्स हिंदी में (2023) | Geeta Quotes in Hindi

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भगवत गीता कोट्स हिंदी में (2023) Geeta Quotes in Hindi

Geeta Quotes in Hindi (भगवत गीता कोट्स): दोस्तों गीता संसार में सबसे पवित्र और समृद्ध पुस्तक है। गीता साक्षात भगवान श्री हरी विष्णु का रूप माना जाता है। विष्णु भगवान ने इस पुस्तक में सम्पूर्ण चराचर सृष्टि का वर्णन किया है। इसमें लिखी एक एक बात और श्लोक पत्थर की लकीर समान है। 

इसलिए गीता को भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में भी महान पुस्तक माना जाता है। ज्ञान का भंडार कहे जाने वाली इस पुस्तक को पढ़ने से मन को शांति मिलती है और अन्याय के खिलाफ लड़ने की शिक्षा भी मिलती है। गीता में लिखे शब्द मोती के सम्मान है।

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इसलिए दोस्तों जीवन की वास्तविकता को समझने के लिए आज की पोस्ट भगवत गीता कोट्स में आप पढ़ेंगे। ताकि आप भी जीवन को श्री हरी की कही बातो के अनुसार समझ सके और जीवन को आनंद के साथ जिएं।

परिवर्तन ही संसार का नियम है,

एक पल में हम करोड़ों के मालिक हो जाते है

और दुसरे पल ही हमें लगता लगता है

की हमारे आप कुछ भी नही है।


वह व्यक्ति जो अपनी मृत्यु के समय मुझे याद

करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे

धाम को प्राप्त होता है और इसमें कोई शंशय नही है।


मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है,

इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते

समय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए।


मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है,

जैसा वो विश्वास करता है

वैसा वो बन जाता है।


जो व्यवहार आपको दूसरो से

पसन्द ना हो ऐसा व्यवहार आप

दूसरो के साथ भी ना करे।


सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के

लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है

ना ही कहीं और !!


नर्क के तीन द्वार हैं

वासना, क्रोध और लालच।


मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा

मुझसे जुड़े रहते हैं और जो

मुझसे प्रेम करते हैं !!


बाहर का त्याग वास्तव में त्याग नहीं है

भीतर का त्याग ही त्याग है .हमारी कामना

ममता आसक्ति ही बढ़ने वाले है, संसार नहीं।


क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि

व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब

तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है

तब व्यक्ति का पतन हो जाता है !!

 

याद रखना अगर बुरे लोग सिर्फ

समझाने से समझ जाते तो

बांसुरी बजाने वाला भी

कभी महाभारत होने नहीं देता।


गीता में कहा गया है

जो इंसान किसी की कमी को

पूरी करता है वो

सही अर्थों में महान होता है..!

 

गीता के अनुसार

जिंदगी में हम कितने सही हैं

और कितने गलत हैं,

यह केवल दो लोग जानते हैं

एक परमात्मा और दूसरी हमारी अंतरात्मा..!


जब तक शरीर है

तब तक कमजोरियां तो रहेगी ही

इसलिए कमजोरियों की चिंता छोड़ो

और जो सही कर्म है

उस पर अपना ध्यान लगाओ..!


किसी का अच्छा ना कर सको

तो बुरा भी मत करना

क्योंकि दुनिया कमजोर है

लेकिन दुनिया बनाने वाला नहीं..!

 

सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को

इंसान अपने लिए अच्छा नहीं समझता

उन्हें दूसरों के लिए भी प्रयोग ना करें..!


मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है,

लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।


मन की शांति से बढ़कर इस

संसार में कोई भी संपत्ति नहीं है।


कोई भी इंसान जन्म से नहीं बल्कि

अपने कर्मो से महान बनता है।


बिना फल की कामनाएं

ही सच्चा कर्म है

ईश्वर चरण में हो समर्पण

वही केवल धर्म है।


गीता में लिखा है

जब इंसान की जरूरत बदल जाती है

तब इंसान के बात करने का तरीका

बदल जाता है।


चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं और

माफ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं।


सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए

प्रसन्नता ना इस लोक में है

ना ही कहीं और।


जो मन को नियंत्रित नहीं करते

उनके लिए वह शत्रु के

समान कार्य करता है।


गीता में कहा गया है कोई भी

अपने कर्म से भाग नहीं सकता

कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है।


मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है,

जैसा वह विश्वास करता है,

वैसा वह बन जाता है।


जब इंसान अपने काम में आनंद खोज

लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है।


माफ करना और शांत रहना सीखिए ऐसी

ताकत बन जाओगे कि पहाड़ भी रास्ता देंगे।


इतिहास कहता है कि कल सुख था,

विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा,

लेकिन धर्म कहता है, अगर मन सच्चा और

दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा।


ज्यादा खुश होने पर और

ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए

क्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपको

सही निर्णय नहीं लेने देती हैं।


जो होने वाला है वो होकर ही रहता है,

और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता,

ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है,

उन्हें चिंता कभी नही सताती है।


जिस मनुष्य के पास सब्र की ताकत है

उस मनुष्य की ताकत का कोई

मुकाबला नहीं कर सकता।


इंसान हमेशा अपने भाग्य को कोसता है

यह जानते हुए भी कि भाग्य से भी ऊंचा

उसका कर्म है जिसके स्वयं के हाथों में है।


न तो यह शरीर तुम्हारा है और न

ही तुम इस शरीर के मालिक हो,

यह शरीर 5 तत्वों से बना है –

आग, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश,

एक दिन यह शरीर इन्ही

5 तत्वों में विलीन हो जाएगा।


सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं

लेकिन झूठ हमेशा दावा करता हैं

कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं।


सही कर्म वह नहीं है जिसके

परिणाम हमेशा सही हो

अपितु सही कर्म वह है जिसका

उद्देश्य कभी गलत ना हो।


जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु

उतनी ही निश्चित है, जितना कि

मृत होने वाले के लिए जन्म लेना।

इसलिए जो अपरिहार्य है

उस पर शोक मत करो।


धरती पर जिस प्रकार मौसम में

बदलाव आता है, उसी प्रकार

जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।


हे अर्जुन ! तुम्हारा क्या गया

जो तुम रोते हो, तुम क्या लाए थे

जो तुमने खो दिया, तुमने क्या पैदा किया था

जो नष्ट हो गया, तुमने जो लिया

यहीं से लिया, जो दिया यहीं पर दिया,

जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का होगा,

क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है।


जब जब इस धरती पर पाप,

अहंकार और अधर्म बढ़ेगा,

तो उसका विनाश कर पुन:

धर्म की स्थापना करने हेतु,

में अवश्य अवतार लेता रहूंगा।


केवल व्यक्ति का मन ही

किसी का मित्र और शत्रु होता है।


लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा

बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए

अपमान मृत्यु से भी बदतर है।


जो मन को नियंत्रित नहीं करते

उनके लिए वह शत्रु के समान

कार्य करता है !!


हे पार्थ तू फल की चिंता मत

कर अपना कर्त्तव्य कर्म कर।


हे अर्जन हम दोनो ने कई

जन्म लिए है मुझे याद है

लेकिन तुम्हे नही !!


जो दान बिना सत्कार के

कुपात्र को दिया जाता है

वह तमस दान कहलाता है।


कोई भी इंसान जन्म से

नहीं बल्कि अपने कर्मो से

महान बनता है !!


जो चीज़े हमारे दायरे से बाहर हो

उसमें समय गंवाना मूर्खता ही होगी।


मन की गतिविधियों, होश

श्वास, और भावनाओं के

माध्यम से भगवान की शक्ति

सदा तुम्हारे साथ है, और

लगातार तुम्हे बस एक साधन

की तरह प्रयोग कर के सभी

कार्य कर रही है !!


जिस तरह प्रकाश की ज्योति

अँधेरे में चमकती है ठीक उसी

प्रकार सत्य भी चमकता है

इसलिए हमेशा सत्य की राह

पर चलना चाहिए।


हे अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही

ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं जो

स्वर्ग के द्वार के सामान है !!


अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग

केवल आपकी बुराइयाँ ही याद

रखेंगे इसलिए लोग क्या कहते हैं

इस पर ध्यान मत दो तुम अपना

कर्म करते रहो।


प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी

का ढेर, पत्थर और सोना

सभी समान हैं!!


मैं करता हूँ ” ऐसा भाव उत्पन्न होता है

इसको ही ” अहंकार ” कहते है।


जब तुम्हारा बुद्धि विभिन्न प्रकार के

वचनो को सुनकर विचलित न हो

तथा नित्य परमात्मा मे स्थिर हो

जायेगी तभी तुम्हे योग की प्राप्ति होगी !!


मुक्ति का मुख्य द्वार केवल भगवद् भक्ति ही है

जिसे सभी को स्वीकार करना चाहिए।


ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और

कर्म को एक रूप में देखता है

वही सही मायने में देखता है !!


स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास

करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन:

एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है।


जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है

जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए ही हो रहा है

और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा !!


ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की

अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के

दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए।


कर्म मुझे बांधता नहीं क्योंकि मुझे

कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं !!


उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है

ना कभी था ना कभी होगा

जो वास्तविक है वो हमेशा था

और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता।


मै धरती की मुधुर सुगंध हूँ मै अग्रि की ऊष्मा हूँ

सभी जीवित प्राणियो का जीवन और सन्यासियो

का आत्मसंयम भी मै ही हूँ !!


एक ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी

कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।

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