मकर संक्रांति, शुभ मुहूर्त, महत्व (Makar Sankranti in Hindi)
मकर संक्रांति त्यौहार हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत देश में विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाते है और इन्ही में से मकर संक्रांति एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है।
इस
त्यौहार को देश के अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में वहां की परंपराओं के
अनुसार अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। जैसे कि उत्तर प्रदेश में से खिचड़ी,असम में इस बिहू के नाम से,तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी और
आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे सिर्फ संक्रांति के
नाम से मनाया जाता है।
मकर
संक्रांति सिर्फ एक त्यौहार ही नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ इस पर्व
का संबंध हमारी प्रकृति से भी है तो आइये जानते हैं, मकर
संक्रांति (Makar Sankranti) त्यौहार क्या है, क्यों मनाई जाती है और महत्व के बारे में आपको यहाँ विस्तार से जानकारी दे
रहे है।
वर्ष
2023 में मकर संक्रांति का शुभ
मुहूर्त (Makar Sankranti Subh Muhurt)
पुण्य काल मुहूर्त
15 जनवरी दिन सुबह 7 बजकर 15
मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक अवधि 5 घंटे 14 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त
7:15 बजे से 9 बजकर 15 मिनट तक अवधि
02 घंटे 0 मिनट
मकर
संक्रांति का क्या मतलब होता है ?
हिन्दू धर्म के अनुसार मकर संक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार प्रतिवर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ-साथ सूर्य उत्तरायण भी होने लगता है, जिसे बहुत ही शुभ काल माना जाता है।
माना जाता है कि संक्रांति के दिन से ही वसंत
ऋतु की शुरुआत हो जाती है,
दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती है। जिसके कारण इस त्यौहार को नई ऋतु और मौसम के
स्वागत के तौर पर भी मनाया जाता है।
मकर
संक्रांति क्यों मनाई जाती है (Why is Makar Sankranti Celebrated)
मकर
संक्रांति का पर्व प्रतिवर्ष पौष मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाती है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायण से निकल कर
उत्तरायण में प्रवेश करता है। शास्त्रों के अनुसार, उत्तारायण की समय अवधि को
देवी-देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात के रूप में माना गया है। इसी
दिन से शादी-विवाह , मुंडन, गृह प्रवेश,जनेऊ और नामकरण आदि के लिए शुभ समय शुरू हो जाते हैं।
मकर संक्रांति के इस पावन पर्व का पौराणिक महत्व भी है,कहा जाता है कि इसी दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शानि से मिलने उनके घर जाते हैं, जो कि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस त्यौहार को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। वहीं दूसरी मान्यता है, कि भगवान विष्णु नें इसी दिन पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया था, इसी ख़ुशी में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
मकर
संक्रांति का धार्मिक महत्व (Religious Importance of Makar Sankranti)
शास्त्रों
के अनुसार मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देवता उत्तरायण होते हैं और उत्तरायण
देवताओं का अयन है। एक अयन देवताओं का एक दिन होता है इस प्रकार 360 अयन देवता का एक वर्ष बन
जाता है। सूर्य की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को
अयन कहा जाता हैं। सूर्य के उत्तर दिशा में जानें को उत्तरायण
कहा जाता है और इसी दिन से खरमास भी समाप्त हो जाते है। खरमास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं
किये जाते है।
मान्यताओं के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की उत्तरायण में मृत्युहोने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस त्यौहार को लोग प्रकृति से जोड़कर भी देखते हैं, जहाँ प्रकाश और ऊर्जा देने वाले भगवान सूर्य देव की पूजा होती है। इसी कारण इस दिन दान, पूजा-पाठ, जप-तप, स्नान आदि धार्मिक क्रिया-कलापों का एक अलग ही महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करनें से सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। जिसके कारण आज भी लोग मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करनें के साथ ही बढ़-चढ़कर दान करते है।
क्या है वैज्ञानिक महत्व मकर संक्रांति के पीछे (Scientific Importance of Makar Sankranti)
जिस प्रकार से मकर संक्रांति मनाने का धार्मिक महत्त्व है उसी प्रकार से इस पर्व को मनानें के कुछ वैज्ञानिक महत्व भी है। मकर संक्रांति के समय से ही नदियों में वाष्पन क्रिया होती है और इस दौरान नदियों में स्नान करनें से अनेक प्रकार के रोग दूर हो जाते है इसीलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है।
खिचड़ी खाने का वैज्ञानिक कारण है, कि खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। वहीं यदि खिचड़ी में मटर और अदरक मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानें के साथ ही बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
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आज
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