मनुष्य का लालच (Human Greed in Hindi)
मनुष्य की जरूरत यानि आवश्यकता और लोभ और लालच मे ज्यादा अंतर नहीं है, जब तक मानव किसी भी जीव या दूसरे व्यक्ति को किसी
भी प्रकार का नुकसान ना हो तब तक वह जरूरत है, और जब मानव अपने स्वार्थ के लिये
किसी दूसरे को आघात देता है, वह उसका लोभ-लालच को जन्म देता है।
लोभ-लालच जिसके उपर हावी रहा उसकी बुद्धि और सोचने की छमता को खत्म कर के ही गई।
आइये पाठकों आज हम मनुष्य और उसके लालच
के बारे मे कुछ बातें जानते हैं।
कहते हैं लालच बुरी बला है, बिलकुल सही
बोला गया है, लालच सोचने समझने की शक्ति का हरन कर लेता है, उसके बाद मानव क्या
अनुचित कार्य करता है उसे ख़ुद को पता नहीं चलता, वो लोभ की पट्टी आँखों पर बांध कर
अपनी लालशा लिये पूरे जग मे घूमता है, और उसे पूरा करने के लिये कोई भी अनुचित
कार्य करने से नहीं डरता है, कभी-कभी तो वह पाप तक कर जाता है, जिसका उसे पता तक
नहीं चलता।
सबसे पहले मानव की आवश्यकता का जन्म
होता है, परन्तु फिर वही आवश्यकता की अत्यधिक होने पर वो लोभ और लालच का रूप ले
लेती है ! जब भी लालच अपने कदम हमारे मन मे रख देता है, तो वह सब से पहले हमारे
सोचने की छमता को छीन लेता है और कुछ व्यक्ति उस लोभ को पूरा करने के लिये किसी भी
हद तक चला जाता है, बल्कि वह दूसरों के नुकसान करने से भी नहीं डरता और लालच के
चलते आगामी जीवन मे उसे कष्टों का सामना करना पड़ता है।
लोभ-लालच की वजह से आज का मानव, मानव नहीं रहा बल्कि वह जानवर से भी उसकी तुलना नहीं की जा सकती, लालच की वजह से आज विकट समस्याओं का सामना कर रहे हैं, मानव ने अपने लालच को पूरा करने के लिये जंगल तक काट दिये, जिसके कारण वन्य जीव, पशु और पक्षी कम हो रहे हैं, उनका घर हम उनसे छीन रहे हैं, जिसके कारण उनकी संख्या मे तेज़ी से काफी गिरावट आ रही है, उनको अपने मनोरंजन के लिये उनका शिकार करते हैं, उनको पकड़ कर चिड़ियाघर मे भी कैद करके हम खुश होते हैं।
उनको भी आजादी का अधिकार है, अब वो दिन दूर नहीं जब सब जानवर समाप्त हो जायेंगे और हम केवल उनको फोटो और इन्टरनेट पर ही देख पायेंगे और पृथ्वी का तापमान भी बढ़ गया है, अभी आज के समय मे मानव के कारण तापमान बढ़ गया है जो कि हर साल बढ ही रहा है, सन 2050 तक
इतना तापमान बढ़ जायेगा कि मानव को और पशु को भी सहनीय नहीं होगा। मानव लालच के कारण इतना नीचे गिर गया है,
कि वह पहले तो प्रकति को नुकसान पहुंचा रहा था, उसके बाद उसने जानवर की हत्या करके
उनको नुकसान पहुंचाया।
अब उसका मन नहीं भरा
तो वह दूसरों को नुकसान पहुचाने मे कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, वह भूल गया है कि
मानवता का गुण उस मे है लेकिन वह अपनी लोभ और लालच की परवर्ती को अपने मन से छोड़
नहीं पा रहा, जिसके कारण आज मानव का जीवन संकट मे आ गया है।
वो दिन दूर नहीं जिस
दिन मानव अपनी मूलभूत जरूरत (खाना और पानी) के लिये भी तरस जायेगा, और उसे ये सब
उस कितने भी प्रयत्न करने के बावजूद भी नसीब नहीं होगा, उसके लोभ के कारण पूरी
धरती पर कंही भी खेती के लिये जमीन, और उसके रहने के लिये कोई जगह तक नहीं बचेगी,
जिस कारण वह भूख और प्यास से मर जायेगा।
अभी तो शुरुवात है, अगर मानव अपने लालच
पे अंकुश ना लगा पाया तो ये उसके लिये और सभी मानव जाति के जीवन सम्पूर्ण जीवन को संकट मे दाल देगा, और
धरती से मानव जाति का वजूद मिट जायेगा।
अब भी हम नहीं सुधरे और अपने मन के लालच
को काबू मे नहीं किया तो इसकी हानि हमे, दूसरे को और आने वाली पीढ़ी को चुकानी
पड़ेगी, अब भी समय है, हमे इसके लिये अपनी जरूरत को एक सीमा में लाना होगा नहीं तो
सम्पूर्ण मानव जाती का भविष्य खतरे मे है, उसे कोई नहीं बचा सकता, और जिसका कारण
केवल और केवल मानव जाति ही होगी।
सोचने वाली बात है कि आज मानव कितना गिर
गया है उसे अपने लालच के अलावा और कुछ नहीं दिखाई देता।