मनुष्य के गुण | Manusy Ke Gun in Hindi

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मनुष्य के मानवीय गुण (Manusy Ke Gun in Hindi)

मनुष्य आज मानवीय गुणों से पतित हो गया है, जिनको हम मनुष्य बोलते हैं , वो आज अपने कर्मो के कारण दुर्गति को प्राप्त हो रहा है आज मानवीय गुणों का मोल न रहा है , सब जगह पाप, लोभ, कुकृत्य देखने को मिलता है, मानव समाज के द्वारा निर्धारित नियमों को बार-बार तोड़ता है, आज हम अधिकार और इंसाफ की बात तो सोच भी  नहीं सकते

ये कलियुग है, यँहा अमीर को जल्दी न्याय मिलता है, और ग़रीब तो भूल ही जाए कि न्याय किसे बोलते हैं, हर कंही देख लो तामसिक विचार ने ही मानव को जकड़े रखा है, मानव अपने इस झूट से ही बहार नहीं आना चाहता वो बस दुनिया के दिखाये झूठ में खो गया है, उस से उसे मुक्ति मिल पाना ही कठिन है


वो पाप, अनाचार को ही सत्य और परमात्मा से मिलने का रास्ता मान बैठा है, वो ये भूल गया है कि मृत्यु अंतिम सत्य है, जीवन का लोभ मानव को इतना है कि वो जीवन भर भगवान को भूल गया है, उसे इस बात ज्ञान अपने अंतिम समय मे  आता है, कि जिस नश्वर संसार मे जो कर्म वो जीवन भर करता रहा
वो असल मे  मोक्ष द्वार नहीं अपितु भ्रम का द्वार था, और वो उसी को सच मानता  रहा, जब अंत समय आया तब उसे उस परमात्मा से उसे ये ज्ञान प्राप्त हुआ कि जो वो जीवन पर्यन्त प्राप्त करता रहा वो सब मिथ्या था ! मानव को उस परमात्मा को कभी नहीं भूलना चाहिये, और जीवन में अच्छे कर्मो से परमात्मा से मिलने के लिये हमेशा प्रयास करना चाहिये

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