बिखरते परिवार और मोबाइल की दुनिया | Shattered Family and Mobile World in Hindi

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बिखरते परिवार और मोबाइल की दुनिया

(Shattered Family and Mobile World in Hindi)

आज हम चाह कर भी इस मोबाइल की दुनिया से बाहर नहीं आ सकते, अब मोबाइल जरूरत से नहीं अब हम इसके आदी बन चुके हैं, जिसके चलते हम अपने परिवार के लोगों से और अपनों से कब दूर हो गये हमे ख़ुद पता नहीं चलता, कभी-कभी ऐसा हुआ है कि आपने दूसरे कमरे में बैठे हुए व्‍यक्ति को सिर्फ बाहर आने के लिए ही फोन किया हो। यह सब ऐसे सवाल है जिनका जवाब आप चाहकर भी ना में नहीं दे सकेंगे।


हम लोगों को पहले जुबानी कई फोन नंबर याद रहते थेलेकिन आज ऐसा नहीं है। ऐसा तब है जब अब 24 घंटे में से करीब 15 घंटे फोन हमारे हाथों में रहता है। इसके बाद भी हमें कुछ गिने चुने या शायद वो भी नंबर याद नहीं रहते हैं। चलिए छोडि़ए इसे। 

क्‍या कभी आपने भी एक ही घर में रहते हुए वाट्सएप के जरिए दूसरे कमरे में बैठे किसी व्‍यक्ति से बात की है। कभी ऐसा हुआ है कि आपने दूसरे कमरे में बैठे हुए व्‍यक्ति को सिर्फ बाहर आने के लिए ही फोन किया हो।

यह सब ऐसे सवाल है जिनका जवाब आप चाहकर भी ना में नहीं दे सकेंगे। दरअसल, यही आज की एक हकीकत है। मोबाइल फोन और इंटरनेट की सुविधा ने हमें अपने ही घर में अपनों से दूर कर दिया है। 

आप के पास इतना भी समय नहीं है कि आप अपने माता–पिता के पास बैठकर उनसे दो पल भी बात कर सकें, आज आप अपनों को धीरे-धीरे खोते चले जा रहे हैं, इसके उलट जो अपने नहीं हैं, जिनसे हम कभी मिले नहीं उन्‍हें कथित तौर पर हमारे करीब कर दिया है। आपने भी ऐसा देखा और महसूस किया होगा।


अकसर युवा सोशल मीडिया के जरिए उन लोगों से चैट या ऐसे लोगों की पोस्‍ट पर कमेंट करते हुए दिखाई दे जाएंगे जिन्‍हें वह जानते तक नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ घर में लगभग हर सदस्‍य के पास में फोन होने की वजह से आस-पास या कुछ दूरी पर बैठे अपने व्‍यक्ति से भी वाट्सएप के जरिए बातें की जाती हैं। क्‍या आपको कभी नहीं लगा कि मोबाइल फोन ने हम लोगों में दूरियां बढ़ा दी हैं।

पहले जब मोबाइल फोन नहीं थे तब और आज के दौर के बारे में जरा सोचकर देखिए और फैसला करिए कि हमनें क्‍या कुछ खो दिया है और क्‍या कुछ पाया है। इस भूमिका को बनाने के पीछे बेहद खास वजह है। 

“परिवार” का अर्थ मौजूदा वक्‍त में भले ही मियां-बीवी और बच्‍चे से हो लेकिन पहले ऐसा नहीं था। यह भारत में नहीं बल्कि दुनिया भी यही मानती है। कि परिवार कहीं न कहीं इस बात का भी सुबूत है कि परिवार की एकजुटता आज भी जरूरी  है। वह भी ऐसे समय में जब हम मोबाइल के चक्‍कर में पागल होकर अपनों को ही खो रहे हैं। 

एकल परिवार बढ़े

2011 की जनसंख्या के अनुसार 2001 से 2011 के बीच आर्थिक प्रगति की दर 7.4 फीसद रही। समृद्धि और रोजगारी के मौके बढ़ने से एकल परिवारों की संख्या भी बढ़ी। 2001 में देश में जहां 13.5 करोड़ एकल परिवार थे वहीं 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 17.2 करोड़ हो गई। 

हालांकि शहरों में अब एकल परिवारों की संख्या जनसंख्या के अनुपात में नहीं बढ़ रही। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पापुलेशन स्टडीज के अनुसार शहरों में महंगे होते घर और पति-पत्नी दोनों के काम करने से संयुक्त परिवारों का चलन बढ़ रहा है। कहते हैं, परिवार से आदमी सब बातें सीखता है लेकिन आज मोबाइल से सीख रहा है, Technology खराब नहीं होती, लेकिन हम अपनों से दूर हो जायें ये ठीक नहीं

बच्चों पर मोबाइल का असर

मोबाइल की दुनिया ने बच्चों को रिश्ते-नातों से भी दूर कर दिया है | बच्चे परिजनों व परिचितों को जानते तक नहीं, मोबाइल पर गेम, संगीत, मूवी देखने में इतना खो गये हैं उनको असली दुनिया की कोई जानकारी ही नहीं है, यंहा तक उनको ये नहीं पता की परिवार मे  क्या हो रह है, उनको कोई मतलब ही नहीं है, वो अपनी ही मस्ती मे खोये हैं



कई बार तो ये देखा जाता है, माँ-पिता के टोकने से बच्चे गुस्सा और जिद तक करने लगते हैं, और यही प्रवर्ती उनको ज्यादा गुस्सा वाला और लड़ाकू किस्म की और आगे बड़ा देती है, कुछ गेम तो उनको हिंसात्मक तक बना देती है, मोबाइल की सुविधा तो बहुत मिली है, लेकिन मोबाइल ने अपनों से अपनों को दूर कर दिया है

ये तो कुछ भी नहीं उनकी सेहत के साथ भी खिलवाड़ हो रह है, रेडिएसन, नज़र कमजोर होना, मानसिक रूप से बीमार, भूलने की बीमारी, ध्यान केन्द्रित ना करना, कोई भी बात समझने मे देरी होना और कार्य का चुनाव करने मे असमर्थता भी बच्चों मे देखी जारी है

मोबाइल से बचपना खोता जा रहा है, बच्चे सारा दिन मोबाइल, T.V, INTERNET के बीच मे रहने से उनके शाररिक विकास मे बाधा हो रही है, जिस से उनकी सेहत और पढाई पर काफी बुरा असर पढ़ रह है

मोबाइल बच्चों के मानसिक स्तर को प्रभावित करता है, ये एक एडिक्शन हो गया है, जिस से बच्चे को नशा हो जाता है, जिस से बच्चे की एकाग्रता पर असर पड़ता है, याददाश्त पर बहुत गम्भीर असर पड़ता दिखाई देता है, माता-पिता को अपने बचों को मोबाइल से जितना हो  सके दूर रहने की कोशिश करनी चाहिये, उनको ज्यादा मोबाइल का उपयोग नहीं करना चाहिये

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