बढ़ते बच्चों की परवरिश कैसे करें | How to Take Care of Growing Children in Hindi

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बढ़ते बच्चों की परवरिश कैसे करें?

(How to Take Care of Growing Children in Hindi)

अक्सर माँ बाप की चिंता अपने बच्चों की परवरिश और भविष्य को लेकर होती है, उनके बच्चे एक सफल, अच्छे  इंसान बने, और इसलिये वो बचों को डांट कर किसी भी गलत संगति में, नहीं पड़ने देते, लेकिन समस्या तब आती है जब आप का बच्चा अपनी किशोरावस्था मे आता है, और उसके बाहर नये दोस्त बनते है, वो नई नई चीजें सीखता है, उसके दिमाग और नजरिये का विकास हो रहा होता है

इस दौरान उसके दिमाग मे आने वाले विचारों को आप समझकर उसके साथ बैठ कर बड़ी ही सहजता से काबू कर सकते हैं और उनको अपने अनुभव से सही ज्ञान देकर उनको सही दिशा की ओर चलने मे उनकी मदद कर सकते हैं, जिससे आपके बच्चे जीवन में आगे और सफ़ल होने की तरह अग्रसर बन सकें


किशोरावस्था के समय बचों के शरीर और बुधि में, कई तरीके के बदलाव होते हैं, जिनको बता पाना मुस्किल होता है, कि किस समय बच्चा क्या सोच रहा है, ये समय बच्चों के माँ बाप के लिये भी बहुत चुनौतीपूर्ण होता हैl माता पिता को अपने किशोर हो रहे बच्चों को समझना बेहत कठिन हो जाता है. क्यूँकि इस समय बच्चे के मन में कई विचार आते रहते हैं, अक्सर वो अपने मन की ही करते हैं

जिस काम के लिए उनके माता पिता उनको मना करते हैं वो वही काम करते हैंl क्यूंकि उस समय बच्चों का दिमाग और मन बेहद चंचल होता है, जिसके चलते वो किसी की ना सुनकर जो भी मन मे हो उसे कर देते हैं, इस समय में, हार्मोन्स मे भी परिवर्तन आता रहता है,

जिससे वो अच्छी और बुरी संगती और आदतों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैंl बहुत बार पाया गया है, बच्चे मूडी हो जाते हैं

किशोरावस्था के दौरान बच्चों को माँ बाप अपने अनुभवों से सीखे गये ज्ञान को उनको दे सकते हैं, माँ बाप की भूमिका सबसे अहम् हो जाती है, कि वो किस तरीके का व्यवहार अपने बचों के साथ करते हैं, उनकी भावना को समझ कर और उनकी बात सुन कर  उनके साथ अच्छा समय व्यतीत करके,उनके साथ कैसा संवाद व व्यहार करते हैं

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आइये जानते हैं, कुछ ख़ास सुझाव सभी पेरेंट्स के लिए जानने जरूरी हैं,कि कैसे किशोरों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिये ताकि वो अपनी जिन्दगी मे कामयाब हो सकें

 

1. दोस्ती करें:-


माता पिता को अक्सर यही डर रहता है की उनके बच्चे  कोई भी गलती ना करें जिसके चलते बच्चा अपने माता पिता से डरता है, कंही  उसे मार पर डांट ना लग जाये, जिसके चलते वो झूट बोलना और बातों को शुरु कर देता है, आप से बात करने मे, जिझक महसूस करेगा, उसका डर उसे गलत रास्तों पर ले जायेगा, और उसे जीवन मे हितकारी परिणाम देखने को नहीं मिलेंगे

इससे अच्छा है कि आप उस से एक दोस्त की तरह बात करें, ताकि उसका डर बाहर निकले, और आप उसकी बात को सुने और समझे और उसके सभी सवालों के उत्तर आचे और दिशापूर्ण तरीके से दें।


2. बच्चों की भावनाओं को समझें:-


किशोर मन से बहुत संवेदनशील होते हैंl उनकी आप से इतनी अपेक्षारखते हैं, कि आप उनकी बातों को गंभीरता से सुनेl वे अपनी भावनाएं आपको तबी सहज तरीके से बता पाएंगे जब आप उनकी बातों को सम्मान के साथ सुने

इसका एक मात्र उपाय यही है कि आप उनके एक आचे दोस्त बन जायें, जिस से उनकी हर छोटी से छोटी बात आप को पता होगी और आप उनको सही मार्गदिशा की ओर ले जा पायेंगे,आप यह जरुर सुनिश्चित करें कि वे मन की बात आप से सहज  रूप मे अन्य किसी भी विषय पर आप से बात कर सकें।

3. ज़रूरी निर्णय लेते समय बच्चों की राय लें:-


जब भी घर में किसी भी ज़रूरी निर्णय लेने की बात आये तो उस समय बच्चों की राय अवश्य लें, जिससे उनको भी लगे कि की उनका सुझाव उस निर्णय मे मददगार हो सकता है, उनकी राय अपने दोस्त और रिश्तेदारों की तरह ही लें, उनको यकीन दिखने का कोई भी अवसर ना जाने दें, जिसके चलते बच्चे घर और आप की ओर और रूचि के साथ जुड़ा रहेगा

4. Quality Time बिताएं:-

आज कल ज़्यादातर माता और पिता दोनों ही Working होते हैं जिसकी वजह से वे बच्चे के साथ ज़्यादा समय नहीं गुज़ार पाते जिसकी वजह से बच्चे अकेले हो जाते हैं, और अपनी किसी भी तरह की परेशानी का उनको ख़ुद ही सामना करना पड़ता है, और अपने विचारों को अपने मन मे रखे रखते है, जिसके चलते वो कई बार गुमसुम और मानसिक रोगों के भी शिकार होने लगते हैं। 

आज यही कारण है कि डिप्रेशन के केस सबसे ज्यादा किशोरों मै देखने को मिलती है, और दिन प्रतिदिन ये  संख्या बढ़ती जा रही है। इसलिए ज़रूरी है कि हर रोज़ की व्यस्तता में से ख़ास समय निकाल कर अपने बच्चे के साथ बिताएं और उसकी पूरे दिन की हर छोटी से छोटी Activity के बारे में सुनें और उनमें अपना पूरा Interest  दिखाएँ। इससे आप उनकी हर प्रॉब्लम व चिंता के बारे में भी जान पाएंगे और उसको दूर करने में उनकी मदद कर पाएंगे।

5. अपने बच्चे की गतिविधि पर नज़र रखना:-

 

आजकल इन्टरनेट व Social Media का ज़माना है। आज हर बच्चा स्मार्ट फ़ोन या कंप्यूटर का इस्तेमाल करता है जिसके कारन विभिन्न तरह की गेम्स खेलना, ऐप्स डाउनलोड करना और Social Media के ज़रिये नए नए दोस्त बनाना उनकी ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा बन गया है। टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल की वजह से कई बार बच्चों को गलत, और अपराधिक् तत्व अपना शिकार बना लेते हैं, जिस से उनको कठनाइयों का का मुह  देखना पड़ता है, जिनसे उबरना काफी मुश्किल हो जाता है। 


इसलिए पेरेंट्स के लिए बेहद ज़रूरी है कि वे जब भी उनके बच्चे के कंप्यूटर, फ़ोन या social media का  इस्तेमाल करें तो उनके सामने करें, इसके लिये आप कंप्यूटर को हॉल में लगा दें,ताकि उनकी हर गतिविधि के बारे में अच्छे से जान लेंगे और उचित सुझाव और इस्तेमाल के तरीके भी बता पाएंगे।



6. बच्चों में अच्छे आचरण देना:-


हर माता पिता की ये इच्छा होती है कि उनका बेटा या बेटी आदर्श बन, जिसके लिए वे बच्चे के  बचपन से ही उसको अच्छे आचारण का ज्ञान, अच्छे गुणों व सभी का आदर करने का पाठ पढ़ाना शुरू कर देते हैं। छोटे बच्चे बेशक आपकी बात को सुन लेते हैं लेकिन उसका असली मतलब वे किशोरावस्था में आने पर ही समझ पाते हैं क्यूँकि तब तक वे हर बात को समझने के लायक हो जाते हैं। इसलिए किशोरों को हमेशा अच्छे आचरण अपनाने का ज्ञान दें

लेकिन एक बात याद रखें कि बच्चों को अपना ज्ञान परामर्श के रूप दें, जबरदस्ती ना थोपें, बल्कि हो सके तो रियल केस स्टडी दें आप स्वयं उनके लिए असल ज़िन्दगी में उदाहारण  पेश करें, जिससे आपके गुण व अच्छे आचरण मे एक निखार आ जायेगा।

पेरेंट्स और बच्चों उम्र व सोच का अंतर होने के कारण उनके  बीच में दूरियाँ पैदा होने की सम्भावना ज्यादा होती है। लेकिन आप अपनी कोशिश से चाहो तो आप हर काम कठिन नहीं है

इन्ही कोशिशों के चलते से इस दूरी का अंतर मिटाया जा सकता है, आप अपने बच्चे का सबसे अच्छा दोस्त बन कर उसे सही मार्ग पर भेज सकते हो और उसकी ज़िन्दगी को सफल और ऊँचाइयों तक पहुँचाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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