"बचपन का प्यार" Hindi Love Story

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बचपन का प्यार (Love Story in Hindi)

रजनीश को चौदह साल की उम्र में ही पहला प्यार हो गया था रजनीश उस समय आठवीं क्लास में था, उम्र कम थी लेकिन मॉर्डन ज़माने में लोग इसी उम्र में प्यार कर बैठते हैंरजनीश का ये पहला प्यार उसकी क्लास में पढ़ने वाली लड़की "दीपा" के साथ था, दीपा अमीर घराने की लड़की थी, उम्र यही कोई 13 - 14 साल ही होगी और दिखने में खूबसूरत थी दीपा के पापा का प्रापर्टी डीलिंग का काम था, अच्छे पैसे वाले लोग थे। रजनीश मन ही मन दीपा को दिल दे बैठा था लेकिन हमेशा कहने से डरता था रजनीश के पिता एक स्कूल में अध्यापक थे उनका परिवार भी सामान्य ही था, इसीलिए डर से रजनीश कभी प्यार का इजहार नहीं करता था

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चलो इस प्यार के बहाने रजनीश की एक गन्दी आदत सुधर गयी
रजनीश आये दिन स्कूल ना जाने के नये नये बहाने बनाता था लेकिन आज कल उसकी आदत बदल सी गई थी, वो रोज़ समय से तैयार होने के बाद स्कूल चला जाता था इस बात को देखकर रजनीश के माँ बाप खुश थे कि उनका बेटा सुधर गया है, लेकिन उनको नहीं पता था कि उनके बेटे का दिल तो कहीं और अटक चुका था

समय ऐसे ही बीतता गयालेकिन रजनीश की कभी प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं हुई बस चोरी छिपे ही दीपा को देखा करता था हाँ कभी - कभी उन दोनों में बात भी होती थी लेकिन पढाई के टॉपिक पर ही.. रजनीश दिल की बात ना कह पाया

दोस्तों कहते है न समय किसी के लिये रुकता वो तो अपनी गति से चलता रहता है, उसी तरह दोनों ने अब दसवीं पास कर ली थी, लेकिन रजनीश की बात अभी तक दिल में ही दबी रही

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आज स्कूल का अंतिम दिन था
रजनीश मन ही मन उदास था कि शायद अब दीपा को शायद ही देख पायेगा क्यूंकि रजनीश के पिता के मन में इच्छा थी कि उनका बेटा शहर में जाकर और अच्छी शिक्षा ले

स्कूल के अंतिम दिन सारे दोस्त एक दूसरे से प्यार से गले मिल रहे थे, अपनी यादें शेयर कर रहे थे दीपा भी अपनी फ्रेंड्स के साथ काफी खुश थी आज..सब एन्जॉय कर रहे थे,, अंतिम दिन जो था लेकिन रजनीश की आँखों में आंसू थे

रजनीश चुपचाप क्लास में गया और दीपा के बैग से उसका स्कूल ID Card निकाल लिया उस कार्ड पर दीपा की प्यारी सी फोटो थी रजनीश ने सोचा कि इस फोटो को वो अपने प्यार की याद के रूप में रख लेगा और इसी फोटो को देखकर ही दीपा को याद कर लेगा

बैंक से लोन लेकर पिताजी ने रजनीश को बाहर पढ़ने भेज दिया दीपा के पिता ने भी किसी दूसरे शहर में बड़ा मकान बना लिया और वहां शिफ्ट हो गए रजनीश अब हमेशा के लिए दीपा से जुदा हो चुका था

समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया, रजनीश ने अपनी पढाई पूरी की और अब एक बड़ी कम्पनी में नौकरी भी करने लगा था, अच्छी तनख्वाह भी थी लेकिन जिंदगी में एक कमी हमेशा खलती थी वो थी दीपा। लाख कोशिशों के बाद भी रजनीश फिर कभी दीपा से मिल नहीं पाया था

घर वालों ने रजनीश की शादी एक सुन्दर लड़की से कर दी और संयोग से उस लड़की का नाम भी दीपा ही था रजनीश जब भी अपनी पत्नी को दीपा नाम से पुकारता तो उसके मन में बचपन की प्यार दीपा का ख्याल आ जाता था आखों के आगे बचपन में दीपा ले साथ बिताये गये पल की एक एक करके तस्वीरें नज़र आने लगती थी शादी के इतने समय के बाद भी उसने अपनी पत्नी को इस बात का अहसास भी नहीं होने दिया, कि वो आज तक अपने पहले और बचपन के प्यार को नहीं भूल पाया है

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एक दिन रजनीश कुछ फाइल्स तलाश कर रहा था कि अचानक उसे दीपा का वो बचपन का
Identity Card मिल गया उसपर छपे दीपा के प्यारे से चेहरे को देखकर रजनीश भावुक हो उठा कि तभी पत्नी अंदर आ गयी और उसने भी वह फोटो देख ली

पत्नी यह कौन है ? जरा इसकी फोटो मुझे दिखाओ

रजनीश अरे कुछ नहीं, ये ऐसे ही बचपन में दोस्त थी

पत्नी अरे यह तो मेरी ही फोटो है, ये मेरा बचपन का फोटो है,, देखो ये लिखा "मॉडर्न कान्वेंट पब्लिक स्कूल" यहीं तो पढ़ती थी मैं

रजनीश यह सुनकर ख़ुशी से पागल सा हो गया क्या है तुम्हारी फोटो है ? तुमको पता है मै बचपन से इस लड़की को बहुत प्यार करता हूँ

दीपा ने अब रजनीश को अपनी पर्सनल डायरी दिखाई जहाँ दीपा की कई बचपन की फोटो लगीं थीं रजनीश की पत्नी वास्तव में वही दीपा थी जिसे वह बचपन से प्यार करता था

दीपा ने रजनीश के आंसू पौंछे और प्यार से उसे गले लगा लिया क्यूंकि वह आज से नहीं बल्कि बचपन से ही उसका चाहने वाला था रजनीश बार भगवान् का शुक्रिया अदा कर रहा था

दोस्तों वो कहते हैं ना कि प्यार अगर सच्चा हो तो रंग लाता ही है ठीक वही हुआ रजनीश और दीपा के साथ भी..

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